8 सितम्बर को पूरे ब्रह्मांड के एकमात्र तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज का अवतरण दिवस है जो समस्त मानव जाति के तारणहार है।
नास्त्रेदमस जैसे महान भविष्यवक्ताओं द्वारा उनके अवतरण के बारे में की गई भविष्यवाणियां बिल्कुल सही साबित हो रही हैं। सतगुरु ने सभी धर्मों के ग्रंथों से गूढ़ रहस्यों को खोलकर तत्वज्ञान से नकली धर्मगुरुओं की पोल खोल दी है। उनके द्वारा किए गए सामाजिक सुधारों से देश दहेज, भ्रष्टाचार, नशा, मांसाहार मुक्त बनने की दिशा में अग्रसर हैं।
Sant Rampal Ji Avataran Diwas 2023 Special
संत रामपाल जी के सानिध्य में किए गए आयोजनों की कई विशेषताएं होती हैं। उनके आशीर्वाद से रक्तदान, बिना दहेज सामूहिक विवाह, विशाल भण्डारा, स्वच्छता अभियान, सत्संग, पुस्तकों का प्रदर्शन और वितरण इत्यादि अनेकों कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
सतगुरु के शिष्य हमेशा ही समय समय पर विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन करते रहते है। इसी तरह अवतरण दिवस पर भी बड़ी संख्या में स्वेच्छा से हजारों लोग रक्तदान करेंगे।
जैसा कि सभी जानते है सतगुरु रामपाल जी के ज्ञान के प्रति बढ़ते आकर्षण और सामाजिक कुरीतियों को समूल नाश करने की प्रतिबद्धता के कारण और उनसे बढ़ती आशा के कारण लोग उनके प्रसारण को सदा की भांति इस बार भी बड़ी संख्या में देखेंगे।
Sant Rampal Ji जेल में क्यों हैं?
मानवता के पूर्ण विकास का कार्य आदि काल से भारत की पुण्यभूमि में होता रहा है। इसी पुण्यभूमि पर अवतारों का अवतरण आदि काल से होता आ रहा है। दिव्य पुरुषों और अवतारों के जीवन काल में तत्कालीन शासन तंत्र और भोली जनता ने उनके दिव्य ज्ञान और आदर्शों को महत्व नहीं दिया, बल्कि उनका विरोध व अपमान ही करते रहे। संतों के प्रति भोली जनता को भ्रमित करके ज्ञान प्रसार में बाधक बनकर ऐसे लोग पाप के भागीदार बने। पहले भी ऐसे महान संतों के पृथ्वी से प्रस्थान करने के बाद समाज उनकी पूजा में जुट जाता है लेकिन ऐसा करके उनके हस्त से कल्याण कराने के अवसर से लोग चूक जाते है।
सन 1994 से 1998 तक घूम घूमकर सत्संग किया और ज्ञान समझाया। अनुयायी दिन प्रतिदिन बड़ी संख्या में ज्ञान सुनकर आते गए और ज्ञानहीन आचार्यों और तथाकथित ऋषियों पंडितों के विरोध भी बढ़ते चले गए। सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं।
सन्त रामपाल जी ने किसी प्रकार का दबाव या सरकार की जी हुजूरी करना और सत्य से समझौता करना कभी सही नहीं समझा। संतो के यही लक्षण होते हैं कि वे निष्पक्ष रहें।
सन्त रामपाल जी के अद्भुत तत्वज्ञान को सुनकर लाखों की संख्या में अनुयायी जुड़ते गए और अन्य नकली संतो को अपनी दुकानें जो भोले भक्तों को गुमराह करके चलती जा रही थी बंद होती नजर आने लगीं और वे सन्त रामपाल जी की जान के दुश्मन बन बैठे। कायदे से ज्ञान झूठा होने पर परिचर्चा की जाती इसलिए सन्त रामपाल जी ने सभी को ज्ञानचर्चा के लिए आमंत्रित भी किया था, लेकिन इन नकली संतो को जब कोई उत्तर न सूझा तो इन्होंने सन्त रामपाल जी के खिलाफ दुष्प्रचार किया।
सन्त रामपाल जी ने सभी धर्मग्रन्थों व पुस्तकों को खोलकर जनसमान्य की अज्ञानता दूर की। सच को सच और झूठ को झूठ कहने का अदम्य साहस रखने वाले परम सन्त रामपाल जी ने धर्मग्रन्थों के साथ एक ऐसी पुस्तक का सच सामने लाया जो सभी घरों में आदर के साथ रखी और पढ़ी जाती है। यहां आप समझेंगे सन्त रामपाल जी जेल क्यों गये। पुस्तक है, सत्यार्थ प्रकाश और इसके लेखक थे आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद।
इस तरह की और भी आपत्तिजनक और अव्यवहारिक बातें इस पुस्तक में लिखी हैं। इन सभी गलत बातों का सन्त रामपाल जी ने प्रमाण सहित विरोध किया। सन 2003 में आस्था चैनल पर सत्संग में सत्यार्थ प्रकाश का भांडा फोड़ करने पर आर्य समाजी आपे से बाहर हो गए। आर्य समाजियों ने 2003 से सत्संग में बाधा डालने और सन्त रामपाल जी महाराज के खिलाफ दुष्प्रचार का कार्य प्रारंभ कर दिया। सन्त रामपाल जी का क्या अपराध था? सत्य वाचन? जब आर्य समाजियों की दाल नहीं गली तब उन्होंने मुख्यमंत्री को भड़काने का काम शुरू किया। सत्संग के दौरान कई दफा आर्य समाजियों ने गैर कानूनी और अमानवीय तरीके से आक्रमण का प्रयास किया। Download PDF: करौंथा काण्ड का रहस्य
सन्त रामपाल जी ने 19 नवम्बर पुलिस को आत्मसमर्पण किया। सन्त रामपाल जी का अपराध क्या था? कुछ भी नहीं। सत्यवाचन करना अपराध नहीं है। सन्त रामपाल जी की न्यूज़ में अप्रमाणिक, असत्य आरोपों से न्यूज़ एंकरों द्वारा बिना सत्यता की जांच किये दिखाए गए। साथ ही कोर्ट ने पुलिस से जब आपत्तिजनक सामग्री कोर्ट में देने कही तो पुलिस स्वाभाविक रुप से नाकाम रही और ये सभी बातें बेबुनियाद साबित हुईं। डीजी पुलिस हरियाणा और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की रिपोर्ट के अनुसार आश्रम में कोई अवैध गतिविधि नहीं पाई गई।
IB की रिपोर्ट के अनुसार सन्त रामपाल जी व उनके अनुयायियों के साथ कुछ जजों के अन्याय की बात भी सामने आई थी। लेकिन न्याय में देरी अब भी की जा रही है क्योंकि उनकी साज़िश ही यही थी और आंखे मूँदकर बिन सोचे समझे धाराएं लगाईं अन्यथा नेपाल यानी दूसरे देशों के अनुयायियों पर देशद्रोह का केस कैसे बनता?
इसी प्रकार संत रामपाल जी महाराज के ऊपर झूठे केस बनाये गये यहाँ तक की उनके ऊपर देशद्रोह की धारा भी लगाई गई, यदि आप संत जी के ज्ञान को पढ़ोगे या सुनेंगे वा उनके द्वारा आयोजित किए जा रहे समागमों में जाकर प्रत्यक्ष तरीक़े से देखेंगे तो जान पाएँगें की संत रामपाल जी और उनके अनुयायियों का कैसा व्यवहार है किस प्रकार बात करते हैं और भी जो आपके मन में जानने कि जिज्ञासा है वो पूरी होगी।
Sant Satane ki Saja : संत सताने की सजा
जो सतगुरु को मनुष्य मानकर उन्हें झूठे आरोपों के आधार पर गलत तरीकों से फँसाकर नाना प्रकार की वेदनाएं देते हैं।
सतगुरुदेव ने अपनी वाणी में संत को सताने के लिए दिए जाने वाले दंड के प्रावधान को बहुत खतरनाक बताया है जो सृष्टि प्रलय तक होने वाले अनंत जन्मों तक चलता रहता है। संत को सताने वाले को परमेश्वर भिन्न – भिन्न प्राणियों की योनियों में बारम्बार माँ के गर्भ में डालते हैं और वह जन्म लेते ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। दंड-भोगी भूत पिशाच की योनि और माँ के गर्भ में असहनीय पीड़ा तब तक झेलता है जब तक सताया हुआ संत स्वयं उसे क्षमा नहीं कर दे।
अर्धमुखी गर्भवास में हरदम बारम्बार,
जूनी भूत पिशाच की जब लग सृष्टि संहार।
एक बार सुनियोजित षड़यन्त्र के अंतर्गत स्वार्थी गुरूओं (आचार्यों) ने संत गरीबदास जी को घेर कर लूट लिया और गाँव के कानूनी अधिकार प्राप्त चौधरी छाजुराम जी से उन्हें छः महीने की काठ में बंद करने की सजा और पाँच सौ रूपये जुर्माना कर दिया। काठ में बंद करने में दोनों पैरों के घुटनों से ऊपर दो लकड़ी के मोटे डण्डे बांध कर दोनों हाथ पीछे बांध दिये जाते थे।
कुछ विशेष व्यक्तियों के कहने पर आदरणीय गरीबदास जी को छोड़ दिया गया। कुछ दिनों उपरान्त चौधरी छाजुराम के प्रातः काल शौच क्रिया के लिए जाने के समय दो घुड़सवार उनके दोनों हाथ काट कर अदृश्य हो गए। इस मार्मिक दृश्य के कई लोग साक्षी थे। बहुत उपचार के बाद भी ठीक न होने पर कुछ लोगों की राय से उन्होंने सन्त गरीबदास जी के पास जाकर उनके चरण पकड़कर क्षमा याचना की। संत गरीबदास जी ने उन्हें सपरिवार नाम उपदेश देकर आजीवन भक्ति करने का आदेश दिया। यह भी कहा कि यह आप के संचित कर्मों का परिणाम था। अब सतभक्ति करने से आगे कष्ट कट जाएंगे।
Avataran Diwas पर जानिए Guru Shishya का महत्व
यदि सतगुरु अपने शिष्य से प्रसन्न हैं तो निश्चित ही पूर्ण परमात्मा सत्पुरुष भी प्रसन्न होंगे। जो शिष्य पूरी तरह से गुरु मर्यादा में रहकर सत भक्ति करते हैं उनका काल ज्योति निरंजन कुछ नहीं बिगाड़ सकता। तात्पर्य है कि ऐसे शिष्य को सतभक्ति करने से मिलने वाले सभी लाभ प्राप्त होते हैं।
कबीर, गुरु दयाल तो पुरुष दयाल।
जेहि गुरु व्रत छुए नहीं काल।
यदि जीव ने दुर्लभ मनुष्य योनि में जन्म लेकर सतगुरु का महत्व नहीं जाना तो यह समझिए कि अनमोल जीवन को बर्बाद कर दिया। सतगुरु को त्याग देने वाले साधक को तो अनेक युगों तक अपने किये पर पछतावा करना पड़ता है। अपने कृत्यों से सतगुरु को दुख पहुंचाने वाला मनुष्य नरक में अग्नि कुंडों में उबल – उबल कर कष्ट पाता है। सतगुरु द्रोही जहरीले सर्पों की योनि में करोड़ों जन्म पाता है और अपने ही विष की गर्मी से लंबी आयु तक घोर कष्ट सहता है। इन जन्मों में दुख भोगकर ये गुरु द्रोही विष्टा (मल) में कीड़े का जन्म लेता है। इस प्रकार करोड़ों जन्म नरकीय जीवन भोगता है।
कबीर, मानुष जन्म पाकर खोवै, सतगुरु विमुखा युग युग रोवै।
कोटि जन्म विषधर को पावै । विष ज्वाला सही जन्म गमावै।
बिष्ट मांही क्रमि जन्म धरई। कोटि जन्म नरक ही परही।
Conclution
कलियुग में स्वर्ण युग प्रारम्भ हो चुका है। विश्व के सभी महाद्वीपों में करोड़ों पुण्य आत्मांए तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सतज्ञान को समझकर उनके सानिध्य में सतभक्ति कर सर्व विकार त्यागकर निर्मल जीवन जी रहे हैं। आप भी शीघ्र अतिशीघ्र सतगुरु की शरण में आयें और उनके अद्भुत ज्ञान को पहचानकर और नाम दीक्षा लेकर अपने परिवार सहित अपना कल्याण करवाएं।
08 सितंबर 2023, सतगुरु का गुरु पर्व (अवतरण दिवस) पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर 06 से 08 सितंबर 2023 तक परमेश्वर की अमर वाणी का पाठ आयोजन हरियाणा के सतलोक आश्रम रोहतक, सतलोक आश्रम भिवानी, और सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र, पंजाब के सतलोक आश्रम धुरी और सतलोक आश्रम खमानो, दिल्ली के सतलोक आश्रम मुंडका, उत्तरप्रदेश के सतलोक आश्रम शामली, राजस्थान के सतलोक आश्रम सोजत, और मध्यप्रदेश के सतलोक आश्रम बैतूल में किया जाएगा। इस अवसर पर सभी आगंतुकों के लिए बूंदी प्रसाद बनाया जाएगा और सभी को वितरित किया जाएगा।
इस विशेष समागम में आप सभी सह परिवार सादर आमंत्रित हैं।
आयोजक: Sant Rampal Ji Maharaj व उनके समस्त अनुयायी।
Sant Rampal Ji का जन्म दिवस (अवतरण दिवस) कब है?
संत रामपाल जी महाराज जी का जन्म 08 सितंबर 1951 को हुआ था? इसके चलते हर वर्ष संत रामपाल जी का जन्म दिवस (अवतरण दिवस) 08 सितंबर को मनाया जाता है?
संत रामपाल जी का कौन सा गाँव है?
संत रामपाल जी महाराज जी का जन्म गाँव धनाना, ज़िला सोनीपत (हरियाणा) हुआ था, महाराज जी का गाँव का नाम धनाना है, यहाँ पर संत रामपाल जी महाराज द्वारा विशाल आश्रम बनाया गया है जिसका नाम ” सतलोक आश्रम धनाना धाम ” ( Satlok Ashram Dhanana Dham) है।
संत रामपाल जी का कौन सा धर्म है?
संत रामपाल जी का जन्म हिंदू परिवार में हुआ था, लेकिन जब से संत रामपाल जी ने नाम दीक्षा लिया तब से उन्होंने सभी धर्म को समान दर्जा दिया है उनका कहना है हम सभी एक परमेश्वर की संतान हैं। इसलिए हमारा मानव धर्म है।
संत रामपाल जी महाराज का क्या नारा है?
संत रामपाल जी महाराज जी कहते है;-
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा ।
हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
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