दो जगह गरीबदास जी महाराज की समाधि का रहस्य : गाँव छुडानी (झज्जर-हरियाणा) के संत गरीबदास जी को स्वयं कबीर परमेश्वर आकर मिले और अपनी रची सृष्टी रचना और भक्ति विधी बताई । फिर कबीर परमेश्वर के आदेश से वो सत्संग करा करते थे ।
Sant Garib Dass ji’s Samadhi Mystery- छुडाणी धाम और सहारनपुर धाम
एक दिन वो सत्संग हेतू अन्यत्र गये हुये थे वहां एक सहारनपुर निवासी भूमड़ सैनी ने महाराज जी का सत्संग सुना और इस अद्धभुत ज्ञान को समझ हर पुर्णमासी को छुडानी सत्संग के लिये सहारनपुर से पैदल करीब दौ सो किमी चलकर आते और सत्संग सुनकर सेवाकर जाते । गरीबदास जी भूमड भक्त से बोले आप हर महिने आते है कोई बात नही कभी कभार नही आना हो पाये तो एक आध महिने आगे पीछे आ जाया करो । भूमड भक्त की आंखो में आंसू आ गये कहते दाता मै खुद को आने से नही रोक पाता हुं सब काम निपटाकर पुर्णमासी का इन्तजार करता हुं । गरीबदास जी ने कहा अच्छी बात है जी ।
फिर जब 1778 भाद्ववा सूदी दूज को गरीबदास जी के सतलोक जाने का समय आया उस से पहले ही भूमड को कह दिया बेटा आप अब मत आना । भूमड भक्त रो पडे बोले दाता कोई गलती बन गयी हो दास से तो क्षमा करो । गरीबदास जी बोले अब मैं वहा सहारनपुर आऊंगा । भूमड भक्त घर लौट आये और गरीबदास जी ने शरीर छोड दिया । छुडानी मे ही उनका अन्तिम संस्कार कर दिया गया ।
Secound Samadhi Mystery
उधर सहारनपुर भूमड भगत जी को राह देखते देखते छ महिने हो गये वे राह देखते देखते थक गये । और गरीबदास जी को रो रोकर पुकारना शुरु कर दिया तभी बसंत पचंमी को गरीबदास जी भूमड़ के घर आये और सतसाहेब की भूमड भक्त ने पलक पावडे बिछा कर सेवा की फिर गरीबदास जी बोले आप अपने बाग मे छोटी सी कुटिया बनवा दो वही हम रह लेंगे। इस तरह 35 वर्ष और गरीबदास जी सहारनपुर रहे अनेको हिन्दु मुसलमानो ने गरीबदास जी से उपदेश लिया फिर एक दिन शरीर छोड गये तब सहारनपुर वाले भक्तो ने राय की महाराज जी के गांव जाकर संदेश दो की महाराज जी का संस्कार यही करे या छुडानी लेकर आये । दो घुडसवार सहारनपुर से छूडानी आये और गरीबदास जी के बेटो पोतो को यह सुचना दी ।
छुडानी वाले बोले यह आप क्या कह रहे हो महाराज जी तो 35 साल पहले शरीर त्याग गये और उनकी याद में यह छतरी बना रखी है । फिर भी गांव वालो को यकीन नही हुआ तो छुडानी से दो और घुडसवार सहारनपुर भेजे जिन्होने गरीबदास जी को देख रखा था वो गये और देखा तो सचमुच गरीबदास जी ही थे फिर उन्होने आग्रह किया महाराज जी का संस्कार छुडानी तो हो गया था अब यही करवा लिजिये ।
जो यह कहते है भगवान बिना मां के संसार मे नही आ सकते उनके लिये दोनो जगह आज भी प्रमाण है ।
इस प्रकार परमेश्वर कबीर जी के कृपा पात्र संत ग़रीब दास जी ने दो जगह समाधि की लीला की, Sant Garib Dass ji’s Samadhi Mystery को संत रामपाल जी महाराज जी ने अपने सत्संग प्रवचनों में बड़े ही रोचक तरीक़े से बताया है
conclusion
जिस प्रकार संत ग़रीब दास जी को कबीर परमेश्वर मिले और उन्हें सतलोक दिखाकर, अपने वास्तविक मंत्र देकर उनको तत्वज्ञान दिया उसी प्रकार संत रामपाल जी महाराज जी ( Sant Rampal JI Maharaj ) भी एक मात्र ऐसे तत्वदर्शी संत हैं जिनको कबीर साहेब स्वयं मिले व अपने वास्तविक तत्वज्ञान व मूलमंत्र को सबको देने का आदेश देकर अंतर्ध्यान हो गए, आप भी संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लें और अपना कल्याण करवायें