Hamare Dukh Kaise Door Honge? दुःख तकलीफ़ दूर करने का सबसे आसान तरीक़ा?

dukh takleef by sant rampal ji

दुख (Dukh) और सुख दोनों पुण्य और पाप कर्मों के कारण होते है ….पुण्य कर्मों से सुख व पाप कर्मों से दुख होता है , पाप और पुण्य के चक्कर में ही जीव काल जाल में उलझा रहता है ।

जानिए दुःख, तकलीफ़ क्यों आती है? Dukh Takhleef

हम युगों युगों से अनेकों जन्म लेते आ रहे है, और अनेकों जन्मों में हम लगातार असंख्यों पाप कर्म करते आ रहे है, जिसके कारण हमारे ऊपर दुख आते है…कभी कोई बीमारी हो जाती है, कभी रोजगार में नुकसान हो जाता है, कभी घर परिवार में कोई हानि हो जाती है, ये सब हमारे पूर्व जन्मों के पाप कर्मों के कारण होता है…ऋषि, महृषि, ब्रह्मा विष्णु महेश जी व सर्व देवताओं व बड़े से बड़े महृषियो द्वारा एक ही बात कही गयी है , की पाप कर्म का नाश नही है, अपने किये हुए कर्मो का भोग प्राणी को भोगना ही पड़ता है ।

वेदों में लिखा है दुःख कैसे दूर होंगें?

हमारे पवित्र वेदों में और पूर्ण परमात्मा द्वारा दिये ज्ञान में पाप नाश होने की बात लिखी है!

जबकि हमारे पवित्र वेदों में और पूर्ण परमात्मा द्वारा दिये ज्ञान में पाप नाश होने की बात लिखी है!

प्रमाण -: यजुर्वेद अध्याय 8 श्लोक 13
इस मंत्र में 7 बार लिखा है कि , परमात्मा घोर पापों का भी नाश कर सकता है ।

यजुर्वेद अध्याय 5 श्लोक 32
जो परम शांतिदायक है , वो पापों का नाशक व सर्व बंधनो से छुटवाने वाला कविर्देव है , जो स्वप्रकाशित लोक में विराजमान है ।

ऋग्वेद मंडल नंबर 9 सूक्त 82 मन्त्र 1
जो सर्वोउत्पादक प्रभु है , वह पापों का नाश करने वाला है , व राजा के समान दर्शनीय है , वो दृढ़ भक्तो को अच्छी आत्माओं को बिजली जैसी तीव्र गति से आकर प्राप्त होने वाला वह कविर्देव (कबीर परमेश्वर ) है।

और भी वेदों में अनेकों स्थानों पर प्रमाण है , की कोई कविर्देव नाम का परमात्मा है, जो सर्व सृष्टि का रचनहार है , और वो सर्व पापों का नाश कर सकता है ।

परमात्मा ही दुखों को दूर कर सकते हैं?

ऋषि महृषियो के विधान इन वेद मंत्रों ने गलत साबित कर दिए…स्वाभाविक सी बात है , की जो परमात्मा होता है , वो सब कुछ कर सकता है , हमारे दुखो को सुख में बदल सकता है…यदि कोई भगवान यह नही कर सकता, तो वो परमात्मा नही है…क्योंकि वो परमात्मा वाले गुण नही रखता ।

उदाहरण – जैसे किसी ने किसी की हत्या कर दी , न्यायालय ने उस हत्यारे को फांसी की सजा सुना दी, तो यहां पर अब यदि वो दोषी किसी जिले का मंत्री या कोई विभाग का मंत्री या कोई अन्य मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री तक की भी यदि शरण में जाकर याचना करे कि मेरी फांसी समाप्त करवा दो

मुझे माफी दे दो…तो इन मंत्रियों और प्रधानमंत्री तक के पास भी वो शक्ति नही है कि न्यायलय के द्वारा सजा सुनाए गए व्यक्ति की सजा कम या माफी या ज्यादा करवा सके, सारे हाथ खड़े कर देते है लेकिन यदि वही दोषी व्यक्ति राष्ट्रपति से सम्पर्क बनाकर राष्ट्रपति की शरण में चला जाता है, तो राष्ट्रपति के पास वो ताकत है की न्यायालय के फैसले को भी बदल सकती है…यदि अपराधी आगे गलती ना करने के लिए कहता है तो ।

इसी प्रकार ब्रह्मा जी, विष्णु जी, शिव जी, दुर्गा जी व अन्य सभी ऋषि महृषियो के द्वारा दिये गए विधान को आप पढ़ लो, सारे एक ही बात कहते है…किया कर्म भोगना पड़ता है, यदि प्रारब्ध में दुख है, दुख भोगने पड़ेंगे और सुख है, तो सुख भोगने पड़ेंगे, ये सब भगवान ऐसा इसीलिए बोलते है, की ये सभी पापकर्म का नाश करने में समर्थ नही है, इनके ऊपर भी पाप कर्म का दंड हावी हुआ ।

दिव्य ज्ञान कबीर साहेब का : दुःख (पाप का नाश)

kabir saheb or sant rampalji

अब सुनिए परमेश्वर कबीर जी व उन्ही से प्राप्त दिव्य तत्वज्ञान के आधार से संत गरीब दास जी अपनी वाणियों में ठोक कर कहते है कि हमारी शरण में आ जाओ, आपके प्रारब्ध में सभी प्रकार के कर्मो का नाश कर के हम नए सिरे से आपके प्रारब्ध लिखेंगे ।

कबीर, जबहि सत्यनाम ह्रदय धरयो, भयो पाप को नाश ।
जैसे चिंगारी अग्नि की, पड़े पुराने घास ।।

जैसे कही पर लाखों टन घास सूखा पड़ा हो, और उसमे आग की चिंगारी लगा दी जाए, वो लाखो टन ज्ञान फूक देती है, और मैदान साफ कर देती है , इसी प्रकार हमारे पास सतनाम रूपी एक ऐसा मन्त्र है, जिसके सुमरन से सर्व पाप नाश हो जाते है ।

मासा घटे ना तिल बढ़े, विधना लिखे जो लेख ।
साँचा सतगुरु मेट कर, ऊपर मारे मेख ।।

विधाता ने जो लेख लिख दिया, उसको कोई रत्ती भर भी घटा बड़ा नही सकता, लेकिन जो पूर्ण संत सतगुरु होता है, वो सारे प्रारब्ध को समाप्त कर देता है और ऊपर परमानेंट समाप्ति की सील मार सकता है ।

धर्मराज के कागज किरु , मेंटू सकल बखेड़ा ।।

परमेश्वर कबीर जी कह रहे है, की मेरी शरण में आने के बाद मर्यादा में रहकर भक्ति करने वाले भगत के धर्मराज के लिखे हुए कर्मो के लेख फाड़ के फेक दु, और सारा बखेड़ा जन्म मरण, लाख चौरासी योनिया समाप्त कर दु।

संत गरीबदास जी ने कहा है ,
सतगुरु जो चाहवे सो करही , चौदह कोटि दूत यम डरहीं ।
उत भूत यम त्रास निवारे , चित्रगुप्त के कागज फारे ।।

संत गरीब दास जी के सतगुरु बन्दी छोड़ कबीर साहेब जी थे , बताया है कि , सतगुरु यानी परमेश्वर कबीर जी जो चाहे वो कर सकते है , चौदह करोड़ यम के दूत परमेश्वर कबीर जी से डरते है , उत भूत यानी बुरी आत्माए को भगा देते है और यम की त्रास यानी पीड़ा को समाप्त कर सकते है , और आखरी में चित्र गुप्त के कागज जिसमें हमारे अच्छे बुरे कर्मो का हिसाब रहता है , उस कागज को फाड़ के फेंक देते है , यानी कर्म के दंड को समाप्त कर सकते है ।

वर्तमान में कैसे मिलेगी सतभक्ति?

purn moksh by sant rampal ji

इस प्रकार परमेश्वर कबीर जी की शरण में पूर्ण संत (वर्तमान समय में पूर्ण संत इस पृथ्वी पर सतगुरु रामपाल जी महाराज ही है ) से नाम दीक्षा लेकर आजीवन मर्यादा में रहकर भक्ति करने से वास्तविक नाम के जाप से सब पापों का नाश होता है , सर्व सुख मिलता है और अंत में मोक्ष अर्थात सतलोक प्राप्ति होती है ।

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