पुलिस ट्रेनिंग सेंटर पहुँचा Sant Rampal Ji Maharaj का सतज्ञान

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Odisa : पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में हुआ संत रामपाल जी (Sant Rampal Ji Maharaj) का सत्संग प्रशिक्षण कर रहे विद्यार्थियों को वितरित की गई जीने की राह (Jeene Ki Raah) पुस्तक।

पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में संत रामपाल जी का सत्संग

संत रामपाल जी महाराज का आध्यात्मिक ज्ञान ही कुछ ऐसा अद्भुत अलौकिक और अद्वितीय है कि आज देश ही नहीं विदेशों में भी संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संगों को लोगों द्वारा देखा व सुना जा रहा है। फिर वह आम आदमी हो या कोई पुलिस अफसर सभी संत रामपाल जी के सत्संगों से बहुत प्रभावित हैं। इसी का एक उदाहरण है कि बीते मंगलवार को ओडिशा राज्य के सम्बलपुर जिले के बुर्ला बेसिक ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट सेंटर (BSI) जो कि एक पुलिस प्रशिक्षण केंद्र है, में डिप्टी कमांडेंट लक्ष्मण सिंह की अनुमति से जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग का आयोजन किया गया। जिसमें 1000 पुलिस प्रशिक्षण करने वाले छात्र और 200 सीनियर जूनियर पुलिस अफ़सर्स ने संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संगों का लाभ उठाया।

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ट्रेनिंग सेंटर में वितरित की गई जीने की राह पुस्तक

सत्संग में संत रामपाल जी महाराज ने मानव जीवन के मुख्य उद्देश्य पर प्रकाश डाला कि मनुष्य का मुख्य उद्देश्य दैनिक कार्य करते-करते एक पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति करना होता है।
वहीं सत्संग के उपरांत संत जी शिष्यों ने संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पवित्र पुस्तक जीने की राह को सभी
प्रशिक्षण करने आये विद्यार्थियों, पुलिस अफ़सर्स को निःशुल्क वितरित की गई तथा इस पुस्तक को पढ़ने के लिए भी आग्रह किया गया। तो वहीं शिष्यों ने बताया कि इस पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में हर महीने एक बार सत्संग आयोजित करने की भी अनुमति दी गई है। जिससे हर महीने यहां पर संत रामपाल जी महाराज के सत्संगों का आयोजन किया जाएगा।

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केंद्रीय कारागार, बरेली (उत्तरप्रदेश) में हुआ Sant Rampal Ji का सत्संग

20 अगस्त को केंद्रीय कारागार जिला बरेली में संत रामपाल जी महाराज का प्रोजेक्टर के माध्यम से सत्संग का आयोजन हुआ। सत्संग के माध्यम से संत रामपाल जी महाराज जी ने बताया कि सभी धर्मों के सदग्रंथ एक परमात्मा की ही बात करते हैं। वह कैसा है? उसका नाम क्या है? वह परमात्मा हमारे पाप कर्म को कैसे काट सकता है उसकी विधि क्या है? यह सभी जानकारी संत रामपाल जी महाराज ने सभी धर्मों की मुख्य पुस्तकों के माध्यम से दी तथा मनुष्य जीवन के परम उद्देश्य के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि मानव जन्म मिलना कठिन है!

फिर पूर्ण संत व सत्संग का मिलना कठिन है! यदि मनुष्य जन्म मिला है तो सच्चे संत का मिलना कठिन है। यदि सच्चा संत मिल जाए तो उस पर विश्वास करना कठिन हो जाता है। जब तक अपने सदग्रंथों को न दिखाऊं तब तक विश्वास नहीं होता कि दास जो कुछ कह रहा है वह सत्य भी है या नहीं। हमारे धर्म ग्रंथ ही बता रहे हैं कि वो परमात्मा कबीर है उसी परमात्मा ने सकल ब्रह्मांडों की रचना की है। वह हम सभी का पिता है।

सत्संग से हो जाते हैं सर्व विकार समाप्त

कहते हैं जैसी संगत वैसी रंगत। कुसंगत में प्राणी चोरी, जारी, ठगी, रिश्वत, मिलावट, नशा, मारपीट आदि बुराइयों को अपनाता है। वहीं साध संगत व सत्संग के मिलने पर प्राणी में अच्छे आचरण, विचारों, व संस्कारों का संग्रह होता है। सत्संग से मानव हर प्रकार की बुराइयों से बचा रहता है।

मानव समाज को हर प्रकार की बुराइयों से बचाने के लिए आज जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा जगह जगह सत्संग कार्यक्रम आयोजित करवाए जा रहे है। संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान ने युवाओं के ज्ञान चक्षु खोल दिये हैं। संत रामपाल जी से दीक्षा प्राप्त कोई भी व्यक्ति नशा, कुसंगत व अन्य बुराइयों जैसे जुए आदि के खेल में लिप्त नहीं होते। वे भक्त किसी भी प्रकार का नशा नहीं करते। एक ओर सरकार नशे और दहेज जैसी बुराइयों को नहीं रोक पाई। वहीं संत रामपाल जी महाराज ने अपने ज्ञान से ये कर दिखाया है। उनके सानिध्य में लोग स्वयं ही बुराइयाँ छोड़कर सत्मार्ग और सतभक्ति को अपना रहे हैं। संत रामपाल जी के तत्वावधान में जगह-जगह एक दिवसीय सत्संग समारोह का आयोजन किया जा रहा है।

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