Sant Garib Dass ji : संत ग़रीब दास जी जीवन परिचय

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Sant Garib Dass ji के बोध दिवस पर जानिए गरीबदास पंथ और 13वें यानी

यथार्थ कबीर पंथ की जानकारी

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संत गरीब दास जी महाराज का जीवन परिचय

संत गरीबदास जी का जन्म हरियाणा के जिला झज्जर गांव छुड़ानी में सन 1717 में जाटों के एक प्रसिद्ध धनखड़ परिवार में पिता श्री बलरामजी और माता श्रीमती रानीदेवीजी के यहाँ हुआ था। गांव छुडानी में गरीबदास जी महाराज का नानका है। ये गांव करौथा (जिला रोहतक हरियाणा) के रहने वाले धनखड़ गोत्र के थे। इनके पिता श्री बलराम जी का विवाह गांव छुड़ानी में शिवलाल सिहाग की बेटी रानी देवी से हुआ था।

श्री शिवलाल जी का कोई पुत्र नहीं था। इसलिए श्री बलराम जी को घर जमाई रख लिया था गांव छुड़ानी में रहते 12 वर्ष हो गए थे तब संत गरीब दास महाराज जी का जन्म गांव छुड़ानी में हुआ था श्री शिवलाल जी के पास 2500 बीघा (बड़ा बीघा जो वर्तमान के बीघा से 2.75 गुना बड़ा होता था) जमीन थी।

kabir Sahebji met Garib Dass 

जिसके वर्तमान में 1400 एकड़ जमीन बनती हैं। उस सारी जमीन के वारिस श्री बलराम जी हुए तथा उसके पश्चात उनके इकलौते पुत्र संत गरीबदास जी उस सर्व जमीन के वारिस हुए। गरीबदासजी बचपन से ही अन्य ग्वालों के साथ गौ चरानें जाते थे। कबलाना गाँव की सीमा से सटे नला खेत में 10 वर्ष के बालक गरीबदासजी जांडी के पेड़ के नीचे प्रातः 10 बजे अन्य ग्वालों के साथ जब भोजन कर रहे थे तभी वहाँ से कुछ दूरी पर सत्यपुरुष कबीर साहब जिंदा महात्मा के रूप में सतलोक से अवतरित हुए।

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परमात्मा ने गरीबदास जी को कुंवारी गाय का दूध पिलाया था और सतलोक ले कर गए थे।

फाल्गुन सुदी द्वादशी सन् 1727 को संत गरीबदास जी को उपदेश प्राप्त हुआ जिसका प्रमाण कबीर सागर में मिलता है। बारहवां पंथ गरीबदास पंथ है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी संत गरीब दास जी के पंथ से है जिनको पूर्ण मोक्ष  देने का अधिकार प्राप्त है। जो सदग्रंथो में प्रमाणित ज्ञान तथा पूर्ण मोक्ष प्राप्ति मंत्र प्रदान कर रहे हैं। आप भी संत रामपालजी महाराज से दीक्षा लेकर अपना जीवन सफल बनाएं।

10 varsh garib dass or kabir ji

“बारहवें वंश प्रकट होय उजियारा
तेरहवें वंश मिटे सकल अंधियारा”

Sant Garib Dass in Satlok

संत गरीबदास जी ने अपनी अमर वाणी द्वारा बताया कि वास्तविक परमेश्वर कबीर साहेब ही है उनका निज धाम सतलोक है जहाँ पर आनन्द ही आनन्द है, कोई चिन्ता नहीं, जन्म-मृत्यु, अन्य प्राणियों के शरीर में कष्ट आदि का शोक नहीं है।

संत गरीब दास जी ने परमेश्वर से साक्षात्कार का पूरा विवरण सतग्रंथ साहिब में लिपिबद्ध किया है-

रीब, अजब नगर में ले गया, हमकूं सतगुरु आन।
झिलके बिम्ब अगाध गति, सूते चादर तान।।
अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का एक रति नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार।।” 

Sant Garib Dass ji- Bodh Diwas

संत गरीबदास जी महाराज छुड़ानी हरियाणा वाले का जन्म 1774 में हुआ है उनको प्रभु कबीर 1784 में मिले थे । जिस के उपलक्ष में बोध दिवस मनाया जा रहा है। संत गरीबदास जी महाराज जी का 12 वां पंथ है जिसके विषय में कबीर साहिब जी ने कहा है कि 12वें पंथ के अनुयाई मेरी महिमा का गुणगान करेंगे परंतु वास्तविक मंत्रों से परिचित न होने के कारण असंख्य युगों तक सतलोक नहीं जा सकेंगे बारहवें पंथ में आगे चलकर मैं स्वयं यानी कि कबीर प्रभु जी स्वयं आएंगे और सब पंथो को मिटा कर एक पंथ चलाएंगे वह पंथ संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा संचालित है ।

13 va panth sant rampal ji

परमात्मा गरीबदास जी को मिले सर्व ज्ञान कराया सतलोक लेकर गए। सभी लोकों से परिचित कराया ब्रह्मा विष्णु महेश का लोक काल का लोक दुर्गा का लोक गणेश जी का लोक आदि इन सभी से परिचित कराया और उनका ज्ञान योग खोला परमेश्वर कबीर जी ही सतलोक से जिन्दा महात्मा के रूप में आकर संत गरीबदास जी को मिले, नाम उपदेश दिया, उनको अजब नगर (सतलोक) में लेकर गए। जहाँ पर आनन्द ही आनन्द है, कोई चिन्ता नहीं, जन्म-मृत्यु, अन्य प्राणियों के शरीर में कष्ट आदि का शोक नहीं है। लगभग 6 से 8 घंटे के बाद वापस पृथ्वी पर छोड़ा तब गरीबदास जी ने बताया कि काशी में जो 120 वर्ष कबीर जुलाहा की भूमिका करके गए वह स्वयं परमात्मा है।
जिस कूं कहते कबीर जुलाहा । सब गति पूर्ण अगम अगाहा।।

Sant Garib Dass Vani

पूर्ण संत गरीबदास जी अपनी वाणी में प्रमाण देते हैं –
हम सुल्तानी नानक तारे, दादू कूं उपदेश दिया।
जात जुलाहा भेद नहीं पाया, काशी माहे कबीर हुआ।।

गरीबदास जी ने पृथ्वी पर आकर अपने यथार्थ ज्ञान से व यथार्थ स्थान से परिचित करवाया। जिसका बाद में लेखन किया गया जिसे आज सद्ग्रन्थ साहिब (अमर ग्रन्थ) साहिब के नाम से जाना जाता है। यह ग्रंथ आज तक लिखे गए सभी रामायण, महाभारत,सुधासागर,सुखसागर आदि सभी धर्मग्रंथों से भिन्न है।

Conclusion

जिसमें जन्म से लेकर मृत्यु तक मानव को केसे रहना चाहिए सत भक्ति से लेकर मोक्ष प्राप्ति से लेकर सतयुग से कलयुग के अंत तक की पूरी यथार्थ जानकारी अपनी अमृतवाणीयों के माध्यम से बताया हैं जिसके बारे में यह भी बताया गया है कि इन वाणियों का सही सरलार्थ करके उजागर वही करेगा जो पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब का अवतार आयेगा और आज वर्तमान में वो अवतार संत रामपाल जी महाराज के रूप में आये हुए हैं

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