Sant Rampal Ji Maharaj ka Virodh इसलिए होता है क्योकि उनका ज्ञान सर्व शास्त्रों के अनुकूल है, साथ ही संत रामपाल जी महाराज जो ज्ञान बताते है , उस ज्ञान को बताने से पहले जो शास्त्रों के विपरीत ज्ञान हमें हमारे धर्मगुरुओं ने बता रखा है, उसी ज्ञान का खंडन शास्त्रों से प्रमाण कर के करते है…जिसका जवाब उन नकली धर्मगुरुओं के पास नही होता है और वो सतगुरु रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान का विरोध करते है।
Sant Rampal Ji Maharaj की पुस्तकों व उनके सत्संग का लोग क्यों करते हैं विरोध?
संत रामपाल जी महाराज द्वारा दिये जा रहे तत्वज्ञान का विरोध वही लोग करते हैं जिनको अपने धर्मों के विषय में संपूर्ण ज्ञान नहीं है, वे लोग केवल किसी कि सुनी सुनाई पर विश्वास करना ही जानते हैं अपने धर्म के पवित्र सतग्रंथों में क्या लिखा है उसको समझना ही नहीं चाहते हैं।
संत रामपाल जी महाराज (Sant Rampal Ji Maharaj) सभी धर्मों के सतग्रंथों का ज्ञान रखते हैं व उन सभी सतग्रंथों में लिखे गुप्त रहस्य व उसमें वर्णित सत्य साधना को लोगो के समक्ष पहुँचने का एक नेक काम कर रहे हैं। साथ ही समाज में फैली सर्व बुराई जैसे नशा, रिश्वतख़ोरी, दहेज रूपी बुराई, छूआछूत, मांसाहार, आपसी भेद भाव को दूर करना आदि अनेकों समाज सुधार के कार्य कर रहे हैं।
इन सभी नेक कार्य को जिनको नहीं सुहाते वही लोग विरोध पर उतर आते हैं, जबकि ऐसे लोगों को चाहिए कि संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान को जन जन तक पहुँचाने में सहयोग करें। जिससे समाज में बढ़ते जा रहे पाखण्डवाद व अंधविश्वास को जड़ से ख़त्म किया जा सके।
Sant Rampal Ji Maharaj का ज्ञान प्रमाणित है
संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा दिया ज्ञान सूक्ष्मवेद पांचवे वेद पर आधारित है और इस पांचवे वेद में सब ज्ञानों से हटकर विशेष ज्ञान है…आज तक हमें सुनाया गया था कि परमात्मा निराकार है , फिर कहते थे कि, ब्रह्मा विष्णु महेश अजर अमर है, इनकी कभी जन्म मृत्यु नही होती, श्राद्ध निकालो, तीर्थ, व्रत करो !..इन बातों को सुनकर हमने फाइनल मान लिया कि यही सच्चाई है…जबकि हमारे वेदों में परमात्मा को साकार बताया है , ब्रह्मा विष्णु महेश जी को नाशवान बताया है…..तीर्थ व्रत करना व्यर्थ बताया है ।
पेश है आपके सामने कुछ प्रमाण
ऋग्वेद मंडल नंबर 9 सूक्त 82 मन्त्र 1
परमात्मा राजा के समान दर्शनीय है।
यजुर्वेद अध्याय 5 श्लोक 1, अध्याय 1 श्लोक 15
परमेश्वर सहशरीर है, सबके पालनकर्ता सहशरीर है ।
ऋग्वेद मंडल नंबर 9 सूक्त 86 मन्त्र 27 में लिखा है कि परमात्मा अमर लोक के तीसरे पृष्ठ पर विराजमान है ।सिद्ध हुआ कि परमात्मा साकार है, निराकार नहीं।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश की जन्म मृत्यु का प्रमाण
श्री शिव महापुराण रुद्रसंहिता में लिखा है कि शक्ति के वाम भाग पर शिव ने अमृत मल दिया, वहां से एक पुरुष उत्तपन्न हुआ, उसका नाम विष्णु रखा, फिर पूर्ववत प्रयत्न कर के ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई ।
श्रीमद्देवीभगवत महापुराण तीसरा स्कंध अध्याय 4 में लिखा है, विष्णु जी स्वयं कहते है, की हमारा तो आविर्भाव और तिरोभाव होता है, हम अविनाशी नही है । गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में व गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में श्राद्ध और व्रत करना व्यर्थ बताए है।
इस कड़वी सच्चाई को लोग पढ़ते समझते नही हैं और सीधा कह देते हैं हिन्दू विरोधी है जबकि संत रामपाल जी महाराज जी ने सर्व शास्त्रों से ही प्रमाण लेकर समाज के सामने सच्चाई रखीं है।
Sant Rampal Ji Maharaj Ka Virodh :सत्य का विरोध हमेशा से ही होता आ रहा है.
अज्ञानता के कारण संत रामपाल जी के ज्ञान का लोग विरोध करते है। मिशेल नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी में भी कहा था कि एक महापुरुष जो सारे विश्व में शांति स्थापित करेगा, पर बड़े दुख की बात है, उस का सबसे पहले विरोध भी बहुत जबरजस्त होगा, मेरे शायरन को उपहास का सामना करना पड़ेगा लेकिन बाद में दुनिया उससे बहुत प्यार करेगी…उसको एशिया में रोकना मुश्किल ही नही नामुमकिन ही होगा , उसके प्रचार में बाधा करना पागलपन होगा, उसके प्रचार का जितना विरोध होगा, उसका प्रचार उतना ही दुगना बढ़ता चला जाएगा ।
परमेश्वर कबीर जी ने अपने शिष्य धर्मदास को पूर्ण संत की पहचान बताते हुए कहा था कि :
जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावे, वाके संग सब रॉड बढ़ावे ।
या संत महन्तन कि करणी, धर्मदास में तोसे वरणी ।।
कबीर साहेब जी ने कहा था कि जो मेरा भेजा हुआ,पूर्ण संत होगा वह सच्चा ज्ञान बताएगा, जिसको सुनकर लोग उससे जुड़ेंगे, उसकी एक पहचान होगी की उससे सब झगड़ा करेंगे, विरोध करेंगे, ये पूर्ण संत की एक पहचान और है ।
तो समझदार को इशारा काफी है, संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान पूर्ण रूप से समझे, फिर ही विरोध करें।
अज्ञानता के कारण संत रामपाल जी के ज्ञान का लोग विरोध करते है। मिशेल नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी में भी कहा था कि एक महापुरुष जो सारे विश्व में शांति स्थापित करेगा, पर बड़े दुख की बात है, उस का सबसे पहले विरोध भी बहुत जबरजस्त होगा, मेरे शायरन को उपहास का सामना करना पड़ेगा लेकिन बाद में दुनिया उससे बहुत प्यार करेगी…उसको एशिया में रोकना मुश्किल ही नही नामुमकिन ही होगा , उसके प्रचार में बाधा करना पागलपन होगा, उसके प्रचार का जितना विरोध होगा, उसका प्रचार उतना ही दुगना बढ़ता चला जाएगा ।
परमेश्वर कबीर जी ने अपने शिष्य धर्मदास को पूर्ण संत की पहचान बताते हुए कहा था कि :
जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावे, वाके संग सब रॉड बढ़ावे ।
या संत महन्तन कि करणी, धर्मदास में तोसे वरणी ।।
कबीर साहेब जी ने कहा था कि जो मेरा भेजा हुआ,पूर्ण संत होगा वह सच्चा ज्ञान बताएगा, जिसको सुनकर लोग उससे जुड़ेंगे, उसकी एक पहचान होगी की उससे सब झगड़ा करेंगे, विरोध करेंगे, ये पूर्ण संत की एक पहचान और है ।
तो समझदार को इशारा काफी है, संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान पूर्ण रूप से समझे, फिर ही विरोध करें..!
2 thoughts on “Sant Rampal Ji Maharaj Ka Virodh Kyo Hota Hai? क्या है विरोध का कारण”